कभी हसाता हू
तो कभी रुलाता हू
मैं ही गिराता हू
और मैं ही संभालता हू
ना बुरा हू ना अच्छा हू मैं
मुझे समझलो तो हर वक्त सच्चा हू मैं
तू गलत हो अगर तो टोकता हू मैं
राह हो गलत तो रोकता हू मैं
बरसात मे गरम चाय का प्याला हू मैं
तेरे हर सीक्रेट का ताला हू मैं
तेरे दुख मे एक खंदा हू मैं
तेरा हर दुख समा दु वो बंदा हू मैं
दोस्त कहो
या दोस्ती हू मैं
तुझे हर बार
समझने वाली वो हस्ती हू मैं...
हर एक बात बता दो उसको
एक बार सिर्फ पता दो मुझको
हर एक को दोस्त ना देने की
बोल भगवान क्या सजा दु तुझको...