कही पंछि को पिंजरे से प्यार ना हो जाए
और वो पिंजरे में ही ना रह जाए;
उसे उडना ही उचे आसमान मे था
इसलीय ही शायद ये समय एक ही साल का था।
यहा हर जगह
ऊस कँटीन के पास
वहा गेट से थोडा दूर
ऊस छत्री के नीचे
या कहो तो उस इंजिन के उप्पर
तेरे और मेरे कही किस्से है
कुछ तेरे तो कुछ मेरे हिस्से है।
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