१३ मार्च २०२१

खाकी

ये मैं हू...
या ये खाकी है 
अगर सिर्फ मैं होता..
तो मेरा बस एक नाम होता
ये खाकी है
इसलिए मेरी एक पहचान है..

मैं होता..
तो दुनिया रंग दिखाती
ये खाकी है
इसलिय दुनियाको रंग दिखाती है

मैं होता..
तो लोग हाथ छोडतें
ये खाकी है
इसलिय दूर का साथ जोडते है

ये मुझपर चढ़ी हुई खाकी है
या खाकी मे मिला हुआ मैं हू..
कुछ भी हो
अब तो खाकी हमारी यार है
प्यार है..
दो जिस्म एक जान है
यही अब हमारी शान है
सम्मान है...

आखीर...
ये मैं और मेरी खाकी है...
अब सिर्फ दो सीतारो की उम्मीद बाकी है।

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